आत्म-सम्मान बनाए रखने के 8 मनोवैज्ञानिक तरीके

जीवन मे अगर सुख शांति चाहिए तो आत्मसन्मान बनाए रखना बहुत जरूरी होता है। जब हम खुद की इज्जत करेंगे तभी लोग हमारी इज्जत करेंगे। लेकिन सबसे कठिन काम है मुश्किल हालातों मे आलोचना के बीच अपना आत्मसन्मान बनाए रखना। मनोविज्ञान (Psychology) की कहता है की आत्म-सम्मान जन्म से नहीं आता ये हमारा मानसिक आभास है जिसे हम समय के अनुसार बदल सकल है। आज हम अपना आत्मसन्मान बनाए रखने के लिए कुछ तरीके जानेंगे। 

खुद को पहचानना और स्वीकार करना

सबसे पहले जरूरी है की आप पहले खुद को पहचान ले, आप क्या है आपकी कमजोरिया क्या है आपकी भावना किस स्थिति मे कैसी रहती है। ये सब जानना आत्मसन्मान की नीव होगी। जब हम खुद की पहचान का स्वीकार करते है तो बाहरी आलोचना से डर नहीं लगता। 

सीमाएँ तय करना

हमारे जीवन मे कुछ सीमाये होनी चाहिए की क्या करना चाहिए और क्या नहीं। बिना सीमाओ के लोग आपकी अच्छाई का फायदा उठा लेते है, ना कहने के कला सीखिए एक ना आपके आत्मसन्मान बचाने मे काम आता जरूर है। जब हम अपनी कुछ boundries यानि सीमाये तय करते है तो लोग आपको serieusly लेने लगते है। 

खुद के प्रति दयालु रहना

हम अक्सर लोगों को खुश करने मे इतने busy हो जाते है की खुद के लिए टाइम ही नहीं रहता। इसलिए खुद को भी उतना ही रीस्पेक्ट देना चाहिए जितना हम दूसरों को देते है। खुद की देखभाल न करने वाले लोग खुद से हमेशा नाराज रहते है। इसीलिए खुद का आत्मसन्मान बढ़ाना है तो पहले खुद के रीस्पेक्ट करना सीखे। 

सकारात्मक सोच और संवाद

आप जो मन मे विचार करते हो वही आप बन जाते हो। इसलिए सोच हमेश पाज़िटिव रखो और खुद से कहो मैं अच्छा हु। अगर आप खुद से कहते हो की मै कर सकता हु, मै सिख रहा हु, मै आगे बढ़ रहा हु ऐसे बोलने से आत्मविश्वास बढ़ता है और खुद के प्रति गर्व महसूस होता है। 

अपने मूल्यों पर डटे रहना

आपकी value ही आपकी पहचान है, सच बोलना, मेहनत करना, ईमानदारी रखना इससे हमारा आत्मसन्मान जुड़ा हुआ है। अगर हम किसी के दबाव मे आकार अपनी अपने मूल्यों से समजोता करते है तो अंदर से टूट जाते है। लेकिन हम अपने मूल्यों पर कायम रहते है तो खुद की नजर मे भी और लोगों की नजर मे भी हमारा आत्मसन्मान बढ़ जाता है। 

मदद माँगने से न झिझकना

कई बार हम ऐसा सोचते है की हमने किसी से मदद मांग ली तो लोग हम कमजोर समजने लगेंगे, लेकिन असल मे ये सोच गलत होती है। मनोविज्ञान कहता है की मदद मांगना कमजोरी नहीं बल्कि ताकत होती है। ये इस बात का संकेत है की आप अपनी मानसिक और भावनात्मक सेहत का कितना ध्यान रखते है। 

छोटी-बड़ी उपलब्धियों का जश्न मनाना

अक्सर हम बड़ी जीत के इंतजार मे छोटी छोटी खुशियों को नजरअंदाज कर देते है। लेकिन छोटी छोटी सफलता हमारे आत्मसन्मान को बढ़ देती है। एक दिन का काम करना, नई आदत लगाना, किसी की मदत करना ये छोटी छोटी उपलब्धिया हमारे आत्मविश्वास को बढ़ाते है। 

खुद से प्रेम करना

आत्मसन्मान यानि खुद से प्रेम करना। इसका मतलब है की आप अपनी अच्छाई और बुराई दोनों का स्वीकार करके खुद से प्रेम करे। जब आप खुद को उसी रूप मे अपनाते है जैसा आप है तब आपको कोई आलोचना हो या हार कोई भी आपको तोड़ नहीं सकता। आत्मप्रेम ही आत्मसन्मान है। 

Last Words 

आत्मसन्मान एक मानसिक निर्णय है हालत चाहे कैसे भी हो जब आप खुद का सन्मान करेंगे तब ही लोग आपको इज्जत देंगे। अपने आप को हर हालत मे स्वीकारना ही खुद के प्रति आत्मसन्मान है। इसलिए अगर आप खुद का सन्मान चाहते हो तो इन बातों को हमेशा ध्यान मे रखे।